DIL LAGA GADHE SE
TO PARI KYA CHEEZ HAI….
Writer Rajesh Dubeay
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Glimpses of Story :
DIL LAGA GADHE SE
TO PARI KYA CHEEZ HAI
{ Story Line }
Climax of the film
ENTERTAINMENT….
ENTERTAINMENT…..
ENTERTAINMENT……….
दिल लगा गधे से
तो परी क्या चीज हैं।।।
……………कथांश………. ….
जब दिल की ख्वाहिशें जवां होती हैं,
तब मोहब्बत के अफसानें लिखे जाते हैं।
दिल चाहता हैं किसी और के दिल को,
दिल मांगता हैं अपनी दिल रुबा की चाहत को
और दिल की इस चाहत की राह में दुश्मन हजार होते हैं।
ये आम बात हैं की एक लड़के का दिल किसी लड़की के लिए धड़कता हैं।
ये खास बात हैं की कोई लड़की अपने सपनों का राजकुमार किसी लड़के में देखती हैं।
इसी चाहत की तलब में किसी का दिल गधी पर आ जाये तो परी क्या चीज हैं
और
मजा तो तब आता हैं जब किसी लँगूर आशिक को अंगूर जैसी हसीना मिल जाये।
यहां तक तो ठीक हैं लेकिन जब दिल मांगे कुछ “और” के चक्कर में
जब कोई लड़का किसी लड़के से प्यार करने लगे तो ………
या
यूँ कहे की कोई लड़का किसी लड़के से शादी करके घर बसाना चाहे तो समाज से एक ही आवाज उठती हैं की ,
” ये कैसी चाहत हैं ?
ये कैसी मोहब्बत हैं ?
क्या प्यार करने के लिए कोई लड़की नही मिली ?
ये पागलपन हैं ।
ये कोई मानसिक रोग हैं।
अरे भाई ये तो सेक्शन 377 के तहत अपराध हैं ।”
सच्चा प्यार करने वाला भी कहता हैं की सदियों से मोहब्बत का रहा हैं दुश्मन जमाना, भले ही लड़का लड़की प्यार करे या एक लड़का किसी लड़के से या कोई लड़की किसी लड़की से ………..
प्यार की खिलाफत होती आई हैं और हीर राँझा,रोमियो जूलिएट,लैला मजनू जैसे लाखो आशिकों की जिंदगी फ़ना होती रही हैं ।
यही से शुरू होती हैं हमारी फ़िल्म की कहानी
दिल लगा गधे से
आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ !!!
जब
पढ़ा लिखा सुंदर समझदार नवयुवक जयशंकर कुमार आधुनिकता की होड़ में अपना नया नामकरण जॉय रख लेता हैं और ज्वलन्त प्रसाद उर्फ़ जॉली नाम के लड़के से उसकी दोस्ती हो जाती हैं और ये दोस्ती प्यार में बदल जाती हैं और ये प्यार उन्हें एक दिन ये महसूस करने के लिए मजबूर करती हैं की अब हम दोनों एक दूसरे के बिना नही रह सकते।
तन और मन से एक दूसरे में समा चुके ये दोनों आशिको की आशिकी यही नही खत्म होती।
मुहब्बत की ये आग इस कदर और सुलगती हैं की दोनों शादी करने का फैसला करते हैं।
हमारी फ़िल्म की कहानी यही एक रोचक मोड़ लेती हैं की उन दोनों के इस बेतुके फैसले से जॉय और जॉली के परिवार वाले बुरी तरह से खफा हो जाते हैं और उन्हें सैकड़ों दलील देकर समझाते हैं की
ये शादी नही हो सकती।
और
ये शादी क्यों नही हो सकती हैं ?
जॉय और जॉली भी हजार दलील देकर अपने परिवार को समझाते हैं कि
चाहे कुछ भी हो जाये
वो दोनों शादी करेंगे
और
दुनिया की कोई भी ताकत उनके फैसले को नही बदल सकती।
दोनों परिवार के लोग भी इतनी आसानी से कहाँ हार मानने वाले थे। उन लोगों ने आखिरी इमोशनल दांव खेला की अगर ये शादी होगी तो दोनों परिवार के सभी सदस्य सामूहिक आत्म हत्या कर लेंगे लेकिन अपने जीते जी खानदान आन बान शान की माँ की आँख नही होने देंगे।
किसी भी कीमत पर अपने जीते जी परिवार की इज़्ज़त पर दाग नही लगने देगे।
मुहब्बत की आग में सुलग रहे दो गे प्रेमी भी उनके इमोशनल अत्याचार के सामने न झुकते हुए फैसला करते हैं की न अपने परिवार को आत्महत्या करने देगे और न ही अपनी मुहब्बत को हारने देगे।
फिर करेंगे क्या ?
जॉय और जॉली एक जन्म तो क्या सात जन्म तक साथ निभाने का वादा करते हुए एक दूसरे की कलाई की नस काट कर आत्महत्या कर लेते हैं।
हमारी कहानी फिर यहां एक नया मोड़ लेती हैं। दोनों परिवार वाले अपने बच्चों को मरने से बचा लेते हैं। लेकिन मौत के मुंह से लौटे जॉय और जॉली फिर भी अपनी जिद्द से टस से मस् नही होते हैं।
दोनों बच्चों की जिद्द के आगे झुकते हुए दोनों परिवार उन दोनों को गे मैरिज करने की इजाजत इस शर्त पर देते हैं कि
-हमें बहु चाहिए भले ही तुम दोनों लड़के शादी करो।
-हमे वंश बढ़ाने के लिए नाती पोते चाहिए भले ही तुम दोनों मर्द शादी करो।
प्यार झुकता नही टूट भले ही जाये लेकिन जॉय और जॉली का सच्चा प्यार झुकना तो दूर की बात वो टूटता भी नहीं हैं
जॉय और जॉली अपने परिवार की शर्त स्वीकार कर लेते हैं।
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ,
की सबसे बड़ी बात जो हैं वो हैं कहानी का क्लाइमेक्स की जॉय और जॉली गे मैरिज करते हैं क्यों की उनका प्यार सच्चा हैं और एक आज्ञाकारी बेटे का कर्तव्य निभाते हुए शर्त के अनुसार
अपनी अपनी माँ को बहु भी देते हैं
और
वंश चलाने के लिए बच्चे भी पैदा करते हैं।
आप सोचेगे की दो मर्द शादी करके बहु कैसे ला सकते हैं ?
आप कहेंगे की ये क्या बकवास हैं की दो मर्द शादी करके अपने खानदान का वंश चलाने के लिए बच्चे कैसे पैदा कर सकते हैं ?
दोस्तों,हमारी फ़िल्म की यही तो USP हैं जो आपको फ़िल्म देखते समय बिलकुल बोर नही होने देगी।
फ़िल्म “दिल लगा गधे से तो परी क्या चीज है ” का सन्देश ही यही हैं कि
प्यार सच्चा हो तो कुछ भी हो सकता हैं।प्यार अँधा हो सकता हैं लेकिन बाँझ तो बिलकुल नही हो सकता ।।।
मनोरंजन और हास्य के ताने बाने में बुनी हुई यह फ़िल्म अपने दर्शकों से सिर्फ 3 चीजों का पक्का वादा करती हैं और वो हैं
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