वासनम

एक ऐसी हिंदी फिल्म जिसकी तासीर रोमांटिक हैं,

एक ऐसी हिंदी फिल्म जिसकी प्रस्तुति  रापचिक हैं,
और एक ऐसी हिंदी फिल्म जिसके कहानी में आत्मा हैं।

प्यार बहुत गन्दी बीमारी हैं इस फिल्म की स्टोरी लाइन हैं।

लक और fuck के बीच इंसान की सफलता घूमती रहती हैं ये फिल्म का ट्विस्ट पॉइंट हैं।

40 बार एक साथ कई रात एक बेड पर सेक्स करना लिव इन रिलेशन होता हैं लेकिन 41वीं बार सेक्स rape हो जाता हैं इस फिल्म का pre climax हैं।

rape लडकें ने किया हैं लेकिन रेपिस्ट लड़की को प्रूव किया जाता हैं ये इस फिल्म का क्लाइमेक्स हैं।

लेकिन फिल्म खत्म होती हैं इस सन्देश के साथ की प्यार में सिर्फ लड़कियां ही सब कुछ खोती हैं !!!

क्या लड़कों का कुछ भी बर्बाद नहीं होता !!!

अगर ये सच हैं तो फिर शादी के पहले लड़कियां अपनी मर्जी से अपने बॉयफ्रेंड की बिस्तर पर इतनी आसानी से नंगी क्यों हो जाती हैं ???

क्या प्यार इतना अँधा होता हैं की वो लड़कियों की आँखे फोड़ देता हैं और लड़कों को आसमान के तारें जमीन पर अर्थात बिस्तर पर तोड़ने का मौका देता हैं।

Its rediculous but its true……

Its naked truth of LIVE IN RELATIONSHIP…………..

AFFAIR is not always FAIR.

इस फिल्म का सब्जेक्ट कुछ ज्यादा ही बोल्ड हैं इसलिए इस फिल्म का टाइटल ” वासनम” हैं ।

इस फिल्म की कहानी को एक अलग ढंग से कहने या दिखाने की कोशिश की हैं जो कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के लड़कियों को जरूर पसन्द आएगा।

वासनम  में 3 खूबसूरत लड़कियां हैं जिनकी अदाएं आपको बहुत मजबूती से मोहित करके रखेगी लेकिन ट्रेजेडी ये हैं की  2 घण्टे की फिल्म खत्म होते होते इन कमसिन लड़कियों को ये बात समझ में आती हैं की

प्यार का अंतिम पड़ाव ……….

बिस्तर हैं ,

वासना हैं,

सेक्स हैं,

और चूँकि ये सीक्रेट मामला सिर्फ दो लोगों के बीच का हैं तो

99% धोखा हैं,

फरेब हैं,

नौटंकी हैं

और कभी कभी तो जीवन का THE END भी हैं।

मतलब……………मौत

वासनम एक गर्म मसाला फिल्म हैं जिसमे बिंदास बोल्ड डायलाग का तड़का हैं क्यों की फिल्म के एक scene में जब एक लड़की धांसू डायलाग मारती हैं  की “सेक्स के टाइम लड़के ये सोचते हैं की वो लड़की को ठोक रहे हैं…. जब की हकीकत में वो लड़कियों से ठुक रहे होते हैं। लड़कियां उन्हें ठोक रही होती हैं।”

फिल्म में आज के हिसाब से खुलापन हैं लेकिन घटियापन बिलकुल नहीं हैं।

फिल्म में मादकता और मधुरता हैं लेकिन नग्नता और भोंडापन बिलकुल नहीं हैं।

फिल्म अंत में बहन बेटियों को ये सन्देश देने में सफल होगी की
प्यार अँधा भले हो लेकिन आप आँखे खोलकर रखिये ताकि प्यार में आपकी जिन्दगी तबाह न हो।

प्यार इतना भी जरूरी नहीं हैं की अठारह साल की उम्र के पहले अपने माँ बाप और घर समाज को छोड़कर प्रेमी के साथ भागना पड़े।

प्यार इतना भी जरूरी नहीं हैं की 12 से 15 साल की उम्र में सम्भोग या शारीरिक सम्बन्ध बनाने की आदत या मजबूरी फैशन के रूप में आपको चरित्र हनन की लपेट या अनैतिकता की चपेट में ले ले।

प्यार इतना भी जरूरी नहीं हैं की एक दिन आपको यह कहने की जरूरत पड़ जाये की  नौकरी या शादी या धमकी या मेरे भोलेपन का फायदा उठाकर एक बार या दस बार या 2 साल या 5 साल या 5 बार या 50 बार इस बन्दे ने मेरे साथ rape किया।

फिल्म का ब्लास्टिंग पॉइंट यह हैं की

क्या rape कई सालों तक होता हैं ?

क्या प्यार rape होता हैं

या

क्या rape का दूसरा नाम प्यार होता हैं ???

वासनम Scene No. 1

वासनम……
One of the gate to Hell….
प्यार बड़ी गन्दी बीमारी हैं………
Love is injurious to Girl’s Heart…
जवानी अय्याशी का सबसे खूबसूरत मौका हैं…
No means NO…..
किसने कहा कि लड़कियों की ” ना ”  का मतलब ” हां ” होता हैं….
Writer : Rajesh Dubeay

Co Writer : Vijay Kanojia

******************************

Scene No. 1

+

Song 1
Location :

Well Furnished House / Hall
Time : Early Morning
Character : Saloni
Sun rise shot के साथ फ्रेम open होता हैं। एक खूबसूरत सी लड़की अर्धनग्न अवस्था मे योग मुद्रा में बैठी हुई हैं। उसकी नँगी पीठ और खुली कमर दिखाई देती हैं। इस लड़की ने Two Piece Bikini या हॉट पेंट और tube पहन रखी हैं। वह आंखे बंद करके ध्यान साधना में तल्लीन हैं। उसके घने लंबे बाल दोनों कंधों के थोड़ा आगे थोड़ा पीछे छितराये बिखरे हुए हैं।

हम धीरे धीरे इस लड़की की पीठ से आगे उसके चेहरे पर ट्राली मूव करते करते कैमरा चार्ज करते हैं। जैसे जैसे कैमरा चार्ज होता है उस खूबसूरत लड़की के लाल होठ, सुर्ख आंखें, सुराहीदार गर्दन से होते हुए उसके पेट की नाभि तक दिखाते हुए उसके एक एक अंग के क्लोज अप शॉट्स लेते हैं। इस दौरान स्क्रीन पर टाइटल क्रेडिट स्क्रॉलिंग चल रही है , बैकग्राउंड में एक खूबसूरत से गाना बज रहा हैं जो उस लड़की के सौंदर्य को बड़े सेक्सी अंदाज़ में बखान रहा हैं। टाइटल स्क्रॉलिंग और बैकग्राउंड सांग खत्म होते ही क्लोज अप में उस खूबसूरत लड़की की आंखे खुलती हैं।
Note : Saloni will be in sexy costume as it’s her first scene which will be in continuity till interval.
******************************


वासनम  Scene No. 2

Scene No.2

Location : Well Furnishad House / Hall

Effect : Early Morning

Character : Saloni

 

( लड़की की आंखे खुलती हैं। उसके सामने एक बड़ा सा तांबे का घड़ा रखा हुआ हैं जिसमे दूध, पानी ,हल्दी, गुलाब के पत्ते, गेंदे के फूल दिख रहे हैं। वह लड़की उस तांबे के घड़े से एक लोटा मिश्रित जल भरकर अपने सीने पर लाकर कहती है, )

सलोनी : मैं सलोनी हूँ…मैं पापी हूं….मैं अपवित्र हूँ….अपनी अपवित्रता का कारण भी मैं ही हूँ । मैं अपने पापों का प्रायश्चित करूंगी। इसलिए आज मैं अपने आपको शुद्ध करूंगी।
( सलोनी लोटे का जल अपने सिर पर डालती हैं। दूध फूल मिश्रित जल उसके सिर से झरने लगता है, उसके काले चमकीले रेशम केश से गुजरते हुए उसकी आँखों के बरौनियों को तर करते हुए, उसके गुलाबी होठों को भिगोते हिये उसके स्तन से होते हुए नीचे कमर की तरफ जल ऐसे गिर रहा है मानो कोई हिमालय पिघल रहा हैं। ये सारे लांग, मिड और क्लोज अप शॉट्स राउंड ट्राली पर घुमाते हुए लड़की के भीगे बदन को दिखाएंगे )
(   Background में जोर जोर से स्त्री पुरुष मिश्रित स्वर चल रहा हैं जो शुद्धिकरण मन्त्र हैं । )
अकामत: कृतं पापम वेदाभ्यासेन शुध्यति।

कामतस्तु कृतं मोहात प्रयश्चिते: पृथग्विधे:।।

उपपताक़शुद्धि: स्यादेवं चंद्रायनेंन वा।

पयसा वापि मासेन पराकेणाथ वा पुनः ।।

( सलोनी एक एक लोटा पानी अपने सिर पर डाल रही हैं। और एक एक लोटे के पानी के साथ आउट फोकस में कहानी फ्लैश बैक में चलना शुरू हो जाती हैं । )
Cut to


वासनम Scene No. 3

Scene No. 3

Location : Hospital / Labour Room

Effect : Night

Characters: Saloni’s Mother, New Born Baby, Dai Maa

( सलोनी का डायलाग ओवर लैप होता है । सलोनी के voice over के हिसाब से सीन शूट और एडिट होगा । )
सलोनी ( V/O ) : मैं जब पैदा हुई तब सबसे पहले मेरे बम्प पर दाई माँ के हथेलियों की चपत पड़ी और मैंने रोना शुरू कर दिया। मेरे रोते ही मेरे अगवाड़े पर दाई माँ की नज़र गई और वो खुशी से चिल्ला उठी…….बेड़ा गर्क हो लड़की हुई हैं !!! बेड पर लेटी मेरी माँ ने मुझे देखा और बहुत ही खुशी से बुदबुदाई……….सलोनी…….मेरी बछिया…….मेरी बच्ची………सलोनी।।।।।

और तबसे मेरा नाम पड़ गया सलोनी।
Cut to***


वासनम Scene No. 4

Scene No. 4  ( Present )

Location : same as in Sc. No.1
Effect : same as in Sc. No. 1
Character : Saloni
( Flash back खत्म होता हैं। )
सलोनी V/O : सलोनी…….नाम तो माँ ने रख दिया ……….सलोनी……पर जब से पैदा हुई हूँ…… दाई माँ की तरह हालात हमेशा मुझे मेरे पिछवाड़े पर चपत मार रही हैं…..और मुझे लड़की होने का अहसास दिलाती हैं…..और तो और……..जब भी कोई मुझे देखता है तो उसकी सबसे पहले नज़र मेरे अगवाड़े पर पड़ती है जिसे देखकर दाई माँ ने मेरी माँ को मेरे लड़की होने की मुबारक बाद दी थी। आज मुझे समझ मे आ रहा है कि उस वक़्त दाई माँ ने क्यो कहा था, ” बेड़ा गर्क हो बेटी हुई है ” क्योंकि लड़की का जीवन किसी बेड़ा गर्क से कम नहीं होता हैं। माँ ने तो मेरा नाम सलोनी रखा था लेकिन मैं मर्दों के हवश की कॉलोनी बन गई। हवश की कॉलोनी हम लड़कियां इसलिए बन जाती है क्यों कि हम खूबसूरत होते हैं। हम लड़कियों की खूबसूरती हमारे लिए अभिशाप बन जाती हैं। बचपन मे मेरी माँ (Flash back शुरू होता हैं )
Cut to***


वासनम : Scene No. 5

Scene No. 5

Flash Back + Present

Location : Kid Room
Effect : Morning
Characters : 4 year old Saloni & Mother

( Saloni’s sound overlap as per scene. Scene should be shoot according to voice overlap of Saloni.This sc. may be in intercut format. )

सलोनी V/O : और माँओं की तरह मेरी माँ भी मुझे नहला धुलाकर खूब सजाती सँवारती थी। मेरे सिर पर चमेली के तेल लगाकर छोटी छोटी दो चोटियां बांध दिया करती थी। चेहरे पर खूब पाउडर मल कर मुझे और गोरी चिट्टी बना देती थी। मेरी नन्ही नन्ही आंखों में यो मोटी मोटी काजल की लकीर खींच दिया करती थी और  उसके उंगलियों में बची खुची थोड़ी सी काजल से मेरे सिर के दाहिने तरफ कोने पर एक बिंदी लगा दिया करती थी ताकि किसी की मुझे बुरी नज़र न लगे। बार्बी डॉल वाली फ्रॉक पहना कर मुझे आसमान में झुलाते हुए कहती थी,

 

माँ : मेरी बिटिया चंदा रानी

मुखड़ा जैसे चांद का टुकड़ा
V/ O : बस यही से सारी प्रॉब्लम हम         लड़कियों के साथ शुरू हो जाती हैं। हम लड़कियों को बचपन से ही चांद बना दिया जाता हैं और सारी जिंदगी लोग हमें घूर घूर कर देखते हैं। हमें देखकर लड़कों को, जवानों को, बुड्ढों के आंखों में ठंडक पहुँचती हैं। उनके कलेजे में एक मीठी सी हूक मचलती हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि बेटी को चांद की तरह न बनाओ की हर कोई घूर घूर कर देखे बल्कि बेटी को सूरज की तरह बनाओं की घूरने के पहले ही नज़र झुक जाए या आंखे चुधियाँ जाए।
Cut to****


वासनम Scene No. 6

Scene No. 6 

FLASH BACK

Location : Master ji House

Effect : Evening

Characters : 6 year old Saloni, Middle age Master ji
( According to Sound over lap of young  Saloni, shots of master ji with kid saloni will be shoot )
सलोनी V/O : स्कूल, कॉलेज, शहर, गांव और नौकरी में तो लोग घूरते ही थे………या घूरते है………लेकिन जब हम पहली कक्षा में पढ़ते थे तब पहाड़ा पढ़ानेवाले खूसट मास्टर जी भी हमे घूर कर देखते थे। बचपन मे जब स्कूल जाया करते थे तब हमें ये एहसास भी नहीं रहता था कि हमारे साथ न जाने किस तरह से मास्टर जी भी अपनी सेक्स की भूख मिटा लेते थे। आज जब उस पल के बारे में सोचती हूँ तो ऐसा लगता हैं कि लड़कियां बड़ी होकर ही बोझ नहीं बनती बल्कि बचपन से ही किसी न किसी इंसान के सेक्स के बोझ को हल्का करने वाली मशीन की तरह इस्तेमाल होती हैं।

( सलोनी अपनी सहेलियों के साथ मास्टर जी के घर पढ़ने आई हैं। मास्टर जी सलोनी को अपने करीब लाकर उसके गालों को सहलाते हैं। )
मास्टर जी : बड़ी प्याली बच्ची हो तुम….बड़ी होशियार बच्ची हो सलोनी….अच्छा ये बताओ तुम्हे 2 का पहाड़ा याद हुआ कि नहीं…..क्या…..अब तक याद नहीं हुआ……तलो तलो तलो हम सलोनी को पहाड़ा याद करवाते है अभी…..चलो मेरे साथ बोलो…….दो एक्कम दो, दो दूनी चार,दो तिया छः, दो चौके आठ………………
( पहाड़ा पढ़ाते हुए मास्टर जी सलोनी के कोमल बदन पर हाथ से सहलाना शुरू करते हैं। गालों को सहलाते हुए…..उनका हाथ सलोनी के कमर तक पहुच जाता है……उनकी आंखों में नशा तैरने लगता है…..उनकी सांसें हल्के हल्के गर्म होने लगती है…..पहाड़ा पढ़ाते पढ़ाते एक बार तो उनका हाथ सलोनी के कमर और पेट को सहलाते हुए नीचे की ओर बढ़ने लगता है लेकिन अगले ही पल वो झिझक जाते है, झेंप जाते है, अपने आपको वो रोक लेते है, सलोनी के बदन से हाथ हटा लेते है, सलोनी को अपनी गोद से उतार देते है, और  उनका तन मन जैसे बुझ से जाता हैं )

सलोनी : मास्टर जी मास्टर जी, दो अट्ठे
मास्टर जी : दो अट्ठे सोलह
( लेकिन उनके आवाज़ में एक प्रायश्चित, पश्चाताप की गूंज सुनाई देती हैं। )
सलोनी : दो दहम्मे बीस

Cut to***


वासनम Scene No. 7

Sc # 7 Present

Location : Well furnish house/Hall
Effect : Early Morning
Character : Saloni

सलोनी : मुझे आज ये एहसास हो रहा है कि उसी समय मास्टर जी को अपने पाप का बोध हो गया था। दूसरों को ज्ञान देने वाले मास्टर जी का ज्ञान शून्य हो जाता हैं और वो इस तरह की ओछी हरकतें मेरे साथ करते थे ये बात मैं आज सोचकर मास्टर जी की हैवानियत पर तरस आता हैं लेकिन जब मैं अपने दूर के रिश्ते के मामा जी के बारे में सोचती हूँ तो मेरा मन घृणा और प्रतिशोध से भर जाता हैं की कैसे मेरी माँ मुझे खिलाने पिलाने के बाद कभी कभार हमारे घर आये उस मामाजी के पास मेरी माँ मुझे सुलाने के लिए छोड़ जाती थी और खुद पाप के पास जाकर सो जाती थी और वो मामाजीं मुझे पुलुलु करते करते सुला देते थे और जब मैं गहरी नींद में सो जाया करती थी तब वो चुपके से मेरे नन्हे मुलायम कोमल हथेलियों को अपने प्राइवेट पार्ट पर ले जाकर चरम आनंद का सुख लेते थे। थैंक गॉड की उनकी हिम्मत कभी मेरे साथ जबरदस्ती करने की नहीं हुई लेकिन ये किसी जबरदस्ती से कम नहीं थी।

(जब वॉइस ओवर चल रहा होगा तब हम फ़्लैश कट में नन्ही सलोनी के साथ मामाजी के इस कृत्य को दिखायेंगे।)
सलोनी V/O : हम लड़कियां अपने घर में अपने रिश्तेदारों के हाथ भी सुरक्षित नहीं हैं।

पर आज के जमाने मे लोगों को पाप का बोध होना तो दूर, अपने किये पाप कर्म पर शर्म भी नहीं आती। जरूरी नही हैं कि कोई आपको जवानी में ही पसन्द आये या आप किसी के प्रति जवानी में ही आकर्षित हो……मुझे भी कोई पसन्द आया था बचपन मे…………एक खिंचाव से महसूस करती थी उसके प्रति…….मैंने उसे अपने दिल के झरोखे में रखना चाहा पर मुझे ये नही पता था कि मेरी ये चाहत मुझे इस कदर झिंझोड़ कर रख देगी कि……….. जो कभी मुझे सबसे प्यारा लगता था उस बन्दे से मैं इतना नफरत करूंगी………..नफरत से भी ज्यादा नफरत हो गई थी मुझे अपनी चाहत से
Cut to***

VAASNAM is a houch pouch type film of new bold bindaas young generation with new definition of

LOVE,SEX & REVANGE.

Rajesh Dubeay

(Writer/Director)

Download pdf to read the full script of Vaasnam.

Vaasnam

(synopsis)

Vaasnam is a romantic Hindi feature film. This story is meaningful and soulful. It has romance, twists, reality and lesson.

Love is a harmful disease. You will not come to know when and how it bites you and spread poison of romance and lust in your body and soul.  Love makes you selfish.

In this story twist point is about luck and fuck.

Pre climax of the film is about enjoying sex with a live-in partner for 40 times but What happened next? Suddenly 41th night turn into rape.

Climax of the film is that rapist boy declare innocent and girl is proven culprit.

At the end story teaches a lesson that only girl loose everything in love.

But what about boys? Don’t they loose anything?

If it is true then why girls allow boys to have sex with them before marriage? How can a girl allows boy to see her naked and touch her ?

It’s true that love is blind but really, does it make people senseless? Love let boys use girls as they want to, because girls forget everything in love. They dedicate their everything to lover.

It’s ridiculous but yes it is truth. It is naked truth of live-in relationship.

Affair is not always fair.

The title “Vaasnam” is presenting the subject which is very bold.

This story will be presented in different style which will touch heart of youngsters and teenagers.

Three girl characters who will be very beautiful and sizzling will represent the truth of love. Their beauty will not let you shift your eyes from screen. But till the end of the story these girls will come to know that last step of love is

Bed…

Lust..

And Sex…

As love is matter of two lovers. They know each other very well but love is

Cheating…

Disloyalty…

And drama..

And sometimes it is “The End” of life..

Means… Death…

Vaasnam is a sensual story in which dialogues are very bold and open. In a scene of the film a girl speak a very bold dialogue…”while having sex boys think that they are fucking girls, but they don’t know the truth that  Actually they have been fucked up by girls.

The film is very Bold but not cheap.

Film has sensuality and sweetness but not nudity and dirtiness.

The film will teach to girls that love can’t be judged but spoiling life in love is big mistake. Keep your brain and eyes open, be aware not to used by anyone.

Love is very important but cheating with parents in love is a sin. Marriage without Parent’s permission is a curse. Children should be aware about their parents reputation. Escaping with lover, especially under age hurt parents even more.

Love is not as important that girls spoil their prestige for it. Having sex in age of 12 or 15 is like a fashion now. It destroys character and teaches immorality.

Love is not as important that some day It make you Helpless and accuses you to say that boy misused you by offering you job or marriage proposal. Love is very sweet until unless you don’t need to say that someone is misusing you because of your innocence or someone has raped on you for 10 or 15 times or for a year or two.

The most important point of the film is to know can someone rape his lovers for many years?

Is love rape?

Or

Another name of love is rape?

 

Vaasnam Film is full of many twists and turns. The film is dedicated to young generation with new definition of Love, Sex and Revenge.

 

The End

(Writer / Director – Rajesh Dubeay)

Download pdf to read the full script of Vaasnam.